Tuesday, January 12, 2010

मेरे सपनो की दुनिया

सपने, सपने, सपने,
सपने तो अपने होते हैं,
सपने ही बस अपने होते हैं।
जो मुझमें आस जागते हैं,
जो मुझको रोज़ बहलाते हैं।

मेरे सपनों की दुनिया बहुत निराली है,
जहाँ चारों ओर हरियाली है,
जहाँ अमन चैन है लोगों में,
जहाँ देश प्रेम है दिलों में।

मैं कल्पना करता हूँ ऐसे देश की,
जहाँ सीमाएं न हो धर्म, जाती और प्रदेश की,
जहाँ भाईचारा हो दिलों में,
हाँ बस प्रेम हो सबके मन में।

Mr. Santosh Bhargava,
F/O Anushka Bhargava,
Class 1 Gulmohar.


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